डायरेक्ट प्लान हमेशा बेहतर विकल्प क्यों नहीं होते
डायरेक्ट प्लान हमेशा बेहतर विकल्प क्यों नहीं होते
डायरेक्ट म्यूचुअल फंड प्लान्स में डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन नहीं होता, इसलिए ये ज्यादा रिटर्न देते हैं। लेकिन क्या इसका मतलब ये सभी के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं?
ज़रूरी नहीं। आइए समझते हैं कि क्यों डायरेक्ट प्लान हर बार आदर्श विकल्प नहीं होते — खासकर उन लोगों के लिए जो नए हैं, व्यस्त हैं, या जिनके पास निवेश की गहरी जानकारी नहीं है।
📊 डायरेक्ट और रेगुलर प्लान क्या हैं?
✅ डायरेक्ट प्लान:
- AMC (एसेट मैनेजमेंट कंपनी) से सीधे खरीदे जाते हैं।
- कोई कमीशन या बिचौलिया शुल्क नहीं।
- कम खर्च = ज्यादा संभावित रिटर्न।
🧾 रेगुलर प्लान:
- डिस्ट्रिब्यूटर/एडवाइज़र के माध्यम से खरीदे जाते हैं।
- खर्च में डिस्ट्रिब्यूटर कमीशन शामिल होता है।
- रिटर्न थोड़ा कम हो सकता है।
🤔 फिर रेगुलर प्लान क्यों चुनें?
डायरेक्ट प्लान कम खर्च वाले हैं, लेकिन वे मार्गदर्शन नहीं देते। यहीं पर रेगुलर प्लान की अहमियत सामने आती है।
1. वित्तीय ज्ञान की कमी
ज्यादातर निवेशकों को नहीं पता होता कि:
- कौन सा म्यूचुअल फंड चुनें।
- पोर्टफोलियो को कैसे ट्रैक या रीबैलेंस करें।
- अपने लक्ष्यों से फंड को कैसे जोड़ें।
एक अनुभवी म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर (MFD) इन सभी चीज़ों में मदद करता है।
AMFI के अनुसार, 85% से अधिक रिटेल निवेशक अभी भी रेगुलर प्लान चुनते हैं — क्योंकि वे सलाह, सेवा और जवाबदेही पसंद करते हैं।
2. भावनात्मक निवेश और व्यवहारिक त्रुटियाँ
मार्गदर्शन के बिना कई निवेशक:
- मार्केट गिरने पर घबरा जाते हैं और नुकसान में रिडीम कर लेते हैं।
- पुराने प्रदर्शन के आधार पर बार-बार फंड बदलते हैं।
सलाहकार लंबी अवधि के लक्ष्य पर टिके रहने में मदद करते हैं।
3. समय की कमी
हर कोई:
- NAV ट्रैक करना,
- फंड्स की तुलना करना,
- टैक्स नियम समझना — ये सब नहीं कर पाता।
व्यस्त प्रोफेशनल्स के लिए थोड़ी सी फीस देकर एक्सपर्ट की मदद लेना ज़्यादा आसान और प्रभावी होता है।
4. लक्ष्य आधारित योजना
डिस्ट्रीब्यूटर सिर्फ फंड सजेस्ट नहीं करते — वे एक व्यक्तिगत वित्तीय योजना बनाते हैं:
- रिटायरमेंट प्लानिंग
- बच्चों की शिक्षा के लिए योजना
- SIP ट्रैकिंग और समीक्षा
डायरेक्ट प्लेटफॉर्म्स पर यह सब नहीं मिलता।
5. बिक्री के बाद सेवा
रेगुलर प्लान में MFD आपकी मदद करते हैं:
- SIP को रोकने, चालू रखने या बदलने में
- कैपिटल गेन रिपोर्टिंग में
- एग्ज़िट लोड को समझने में
- KYC अपडेट में
डायरेक्ट प्लेटफॉर्म्स पर ये सारी ज़िम्मेदारी आपकी होती है।
📉 रेगुलर प्लान में कितना कम रिटर्न मिलता है?
- खर्च अनुपात में फर्क: लगभग 0.5% से 1%।
- ₹10 लाख निवेश पर 10 वर्षों में फर्क ₹1–2 लाख हो सकता है।
लेकिन अगर रेगुलर प्लान आपको गलतियाँ करने से बचाए, अनुशासित रखे और निवेश जारी रखने में मदद करे — तो यह फायदे का सौदा हो सकता है।
✅ कौन सा प्लान किसके लिए बेहतर?
निवेशक प्रकार | सर्वश्रेष्ठ विकल्प |
---|---|
शुरुआती जिनके पास मार्गदर्शन नहीं है | रेगुलर प्लान |
जो खुद फाइनेंस एक्सपर्ट हैं | डायरेक्ट प्लान |
व्यस्त नौकरीपेशा व्यक्ति | रेगुलर प्लान |
जो लक्ष्य आधारित योजना चाहते हैं | रेगुलर प्लान |
जो लागत को लेकर जागरूक और आत्मनिर्भर हैं | डायरेक्ट प्लान |
🎯 निष्कर्ष
डायरेक्ट प्लान सस्ते हैं — लेकिन हमेशा बेहतर नहीं।
अगर आपके पास समय, ज्ञान और आत्मविश्वास है, तो डायरेक्ट प्लान चुनें।
लेकिन अगर आप सलाह, सुविधा और व्यवहारिक मार्गदर्शन को महत्व देते हैं, तो एक भरोसेमंद सलाहकार के ज़रिए रेगुलर प्लान आपके लिए बेहतर हो सकता है।
निवेश के लिए सही रास्ता चुनने में मदद चाहिए?
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